फिर से अपनी सोच लिखूँगी मैं तुम्हें ही उस दौर में लिखूँगी। फिर से अपनी सोच लिखूँगी मैं तुम्हें ही उस दौर में लिखूँगी।
मैं अपने जिंदगी का एक अंश उनके नाम कर दूंगा। मैं अपने जिंदगी का एक अंश उनके नाम कर दूंगा।
खुद को न इतना निराश कर भूल में अपनी तू सुधार कर खुद को न इतना निराश कर भूल में अपनी तू सुधार कर
देखी नहीं नींव जब तुमने करते क्यों आधार की बातें ? भूल गए हो कैसे तुम अपने अधिकार की बातें ? देखी नहीं नींव जब तुमने करते क्यों आधार की बातें ? भूल गए हो कैसे तुम अपने अधिका...
दूसरा लोक व्यवहार नेग रिवाज की भी भरपाई। दूसरा लोक व्यवहार नेग रिवाज की भी भरपाई।
यह सोचा बढ़ गया मैं आगे न देखा सींग था वो ताने देख के मेरी नेकी यह सोचा बढ़ गया मैं आगे न देखा सींग था वो ताने देख के मेरी नेकी